सुनो,
इस बेरुख़ी से अब,
रहा नहीं जाता,
तेरी याद को भुलाने,
दिल ही दिल में तुझ से,
झगड़ा नहीं जाता....!!!
तुम तो सावन सा आएं,
भादौ सा चलें गए,
हमसे अब तेरी,
खुदगर्ज़ी का इनाम,
सहा नहीं जाता......!!!
मेरी हर तकलीफ का,
मर्ज़ हो तुम,
आ जाओ लौट के तुम,
के कब ख़ुद से,
और लड़ा नहीं जाता.....!!!
#झगड़ा