My Meaningful Poem..!!!
यारों कौन पढ़ता है यहाँ खोल
के आजकल दिल की किताब
गुफ़्तगू के मोहताज होते थे
लैला मजनू हीर-रांझा कभी
हाल-ए-दिल तो आजकल
चेहरों से ही होता हैं बेनक़ाब
ऑंखों-ऑंखेंमें ही बयान होती
है दिल की बात बिला-वजह
ख़त-ओ-क़लम से न सरोकार
उँगलियों से ही सजते हर ख़्वाब
रफ़्तार धड़कनों की भी है कम
इतनी तेज़-तरार सवाल जवाब
मर्ज़-ए-दर्द-ओ-दिल बात पुरानी
जिस्मों से जिस्मों की है फ़रोख़्त
रब ही बस जानत कहाँ जा कर
ख़त्म होगी जवाँ दिलों की ग़ुरबत
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