दर्द
बुलन्द हौसले और जज्बे के साथ
आसमां छूने की कोशिश तो कर
अपने ही कुचलने आ जायेंगे,
पंख कुतरने को तैयार हो जायेंगे।
जीवनसाथी पर चाहें जितना
भी भरोसा कर लों गिराने की चाह में,
उसका पुरूषत्व जाग ही जायेगा।
तू सम्मान के लिए आवाज़
उठाने की कोशिश तो कर,सबसे आगे अपने,
जीवनसाथी को खड़े देख,
हौसले खुद ब खुद टूट जायेंगे,
जज्बे मोतियों की तरह बिखर जायेंगे।
रिश्ते खुद ब खुद मुट्ठी
में लिए रेत की तरह फिसल ही जायेगें
उल्टा तुझ पर ही सौ इल्जाम लगाये जायेंगे।
न लड़ सकेगी इस ज़ालिम समाज
के झूठे अहंकार से। तूझे लताड़ कर बेगैरत
साबित कर दिया जायेगा। बस एक बार तू अपना हक मांग के तो देख
बद्जवान साबित कर दिया जायेगा।
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