सुप्रभात।
देखो तो ज़रा,
ये कल है कहाँ!
कल कुछ नहीं है,जो भी करना है,_गीता_
आज करना है,कल किसने देखा है ?
वर्तमान की बाहों में ही भविष्य पलेगा,
घनें अंधेरों को चिरकर सूरज निकलेगा ।
तू जो आज बोएगा वहीं कल पाएगा,
वर्तमान को संवार, भविष्य संवर जाएगा।
भला कीजे भला होगा, बूरा कीजे बूरा होगा,
कांटों को बोकर, आम कैसे खाएगा ?
नेकी कीएजा,राहों पर, फूल बिखेरेजा,
तेरा कल अपने आप महक जाएगा।
✍️...© drdhbhatt...