छोड़ तुं ये मंगल #अमंगल ;
क्यों मचा है दिलमें दंगल?

छोड़ दो तुम मुर्त कुमुर्त;
जीयो जी भरके हर पल;

जीवन में ज्यादा ना सोच,
ये है अंधश्रद्धा का जंगल;

जन्म अगर यहां है मंगल;
तो ये मोत क्युं है #अमंगल ?

जैसे करता रहेगा तुं कर्म,
मीलेगा तुझे वैसे ही फल;

#अमंगल

Hindi Poem by વિનોદ. મો. સોલંકી .વ્યોમ. : 111553309

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now