The Download Link has been successfully sent to your Mobile Number. Please Download the App.
Continue log in with
By clicking Log In, you agree to Matrubharti "Terms of Use" and "Privacy Policy"
Verification
Download App
Get a link to download app
बेरोजगार दिल की दास्तां...... जब किसी की वह फोटू जिसे Social media से दूर रखने की भरपूर कोशिशें की गई हो, उसे देखकर भी आपके मन को शितलता मिलें, और आप प्रसन्न हो जाएं तो आप प्रेम में हैं।🥰 ~ अवि✍️
हम लोग काल का मापन निष्प्राण घड़ियों से करते हैं - कितने मूर्ख है हम। क्षण में ही जो युग-युग बीत जाते हैं और युगों तक जो क्षण वैसा ही बना रहता है, उसको अनुभव से मापने की सामर्थ्य क्या घड़ियों में है? [उपन्यास ~ शेखर: एक जीवनी -१] ...📝AR
पग पग लिये जाऊँ, तोहरी बलइयाँ... जिनके गीतों के गुंजार बिना छठ अपूर्ण रहती थी, बिहार की सांस्कृतिक चेतना का दिव्य प्रमात्मिक स्वर की देवी मां शारदा की पुत्री आज इस संसार से विदा हो गयी। आकाश भर याद आपको 🥲 अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि 🙏 @Sharda sinha
शुभम करोति कल्याणम आरोग्यम् धन संपदा, शत्रु-बुद्धि विनाशाय: दीप-ज्योति नमोस्तुते! दीपोत्सव आपके जीवन को सुख , समृद्धि ,सुख- शांति ,सौहार्द एवं अपार खुशियों की रोशनी से जग-मग करे ! """"""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""" मेरी ओर से आप सपरिवार को प्रकाश पर्व दीपावली ,गोवर्धन पूजा,भाई दूज की ढेर सारी शुभकामनाएँ 🙏🙏
अलविदा फ़हमी साहब 🙏 "पूछ लेते वो बस मिज़ाज मिरा कितना आसान था इलाज मिरा" ~ फ़हमी बदायूनी।
अब नहीं लौट के आने वाला घर खुला छोड़ के जाने वाला अश्रुपूरित श्रद्धांजलि रतन टाटा जी🙏🥲
कुछ ख्वाहिशें अपूर्ण हीं रहने दो मुक्कमल जिंदगी बोझिल सी लगती है। ~ अवि।
बालक ने देखा, तोता धीरे-धीरे डरते-डरते पीपल की एक डाल से उड़कर दूसरी पर बैठता है, दूसरी से तीसरी पर। ऐसा जान पड़ता था मानो पंख डरकर इसलिए फड़फड़ाता है कि कहीं पिंजरे की परिधि से टकराएं न, आहत न हों और जब उसने देखा, वे हिल-डुलकर भी पिंजरे से नहीं टकराते, तब वह पेड़ पर से उड़कर बिजली के खम्भे पर बैठ गया, जो घर से अधिक दूर था और फिर यहां से दूसरे खम्भे पर। बालक को जान पड़ा, वह अपने को विश्वास दिला रहा है कि अब पिंजरे के सीखचों से घिरा नहीं हूं, बाहर हूं, स्वच्छंद हूं और फिर वह एकाएक आह्लाद और अभिमान से भरकर उड़ा और उड़ गया दृष्टि की सीमा से परे... [उपन्यास~ शेखर: एक जीवनी-1] ...📝AR
जीवन प्यारा है या नहीं, इसकी कसोटी यहीं है कि उसे बिना खेद के लूटा दिया जाए, क्योंकि विराट प्रेम मौन हीं हो सकता है, जो अपना प्यार कह दे उनका प्यार ओछा है... [उपन्यास ~शेखर: एक जीवनी-१] ...📝AR
वाह रे किस्मत तूने भी क्या खूब खेल दिखाया है। मिटाऊं भी कैसे दाग पानी का जो लगाया है।। अरसे बीत गए यूं गम में खुशियां ढुंढते ढुंढते; पर खुश हूं, आज खुशी से गम को गले लगाया है।। बहुत प्यार से सजाया था, उम्मीदों के बगीचे में, खुशी के कुछ फूल। देखो,आज वो भी मुरझाया है; लगता है वो खुद से शर्माया है; शायद चोट उनके दिल पे भी आया है। ओह! छोड़ो, रब्त जिरह से कब बच पाया है।। - राहुल अविनाश
Copyright © 2024, Matrubharti Technologies Pvt. Ltd. All Rights Reserved.
Please enable javascript on your browser