अब किसी से कुछ नहीं कहना चाहती हूं।
क्योंकि अब मैं जीना नहीं चाहती हूं।।
धोखे फरेब की दुनिया में हर बार मुझे छला गया,
जिम्मेदारी का सारा बोझ मुझ पर ही मड कर
मेरे ही वजूद को मिटाया गया।
अब इस फरेब की दुनिया से दूर जाना चाहती हूं ।
अब मैं जीना नहीं चाहती हूं।।
साहिबा सिंह