#आज की प्रतियोगिता "
# विषय .आला "
# कविता ***
आला संसार को ,चलाये ।
उसकी चाल किसी ,को समझ न आये ।।
वह जगतपिता ,पालनहार कहलाये ।
सारी जगत उसकी ,सुदंर सृष्टि कहलाये ।।
उसकी आज्ञा बिना ,एक पता न हिल पाये ।
आला का कहना ,कोई न टाल पाये ।।
जन्म मृत्यु का , पल में वो दे पाये ।
फूलों में अनोखें ,रंग भर पाये ।।
समुद्र में विचित्र,रंगों को सजा पाये ।
प्रकृति को नव यौवना ,सी सजा पाये ।।
उसके एक इशारे ,पर जगत डोल जाये ।
वह दिखता नहीं ,पर सब कुछ कर पाये ।।
हर प्राणी को ,प्राण वायु दे पाये ।
इसलिए ही वह ,प्राणाधार कहलाये ।।
बृजमोहन रणा ,कश्यप ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।