# आज की प्रतियोगिता "
# विषय .भाई - भतीजावाद "
# कविता ***
आजकल भाई भतीजावाद ,का जमाना आ गया ।
बेसुरे को भी ,अब गाना आ गया ।।
मानवता नहीं रही ,अब स्वार्थ का जमाना आ गया ।
अपने लोगों को ,आँखों पर बिठाना आ गया ।।
गरीबों की कौन सुनता ,अपने लोगों को सजाना आ गया ।
नौकरी धंधों में ,अपने लोगों को बिठाना आ गया ।।
योग्यता को कौन देखता ,चापलुसों को बिठाना आ गया ।
अंगुठा छाप को भी ,महाराज बनाना आ गया ।।
कौन पूछता है योग्यता को ,एक कोने में धकेलना आ गया ।
अपने चमचों को ,अच्छें पदों पर रखना आ गया ।।
गरीबों के आंसू कौन पोछता ,उन्हें रुलाना आ गया ।
मानव बन कर भी ,मानव को सताना आ गया ।।
बृजमोहन रणा ,कश्यप ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।