# आज की प्रतियोगिता "
# विषय .होठ "
# कविता ***
तेरे रसीले होठ ,सुदंर लगते है ।
तेरे होठो की लाली ,गजब ढ़ाती है ।।
तेरे होठ तेरे ,यौवन में चार चाँद लगाते है ।
तेरे होठो से ,तू अप्सरा लगती है ।।
तेरे होठ सबका ,जी चुराते है ।
तेरे होठ कुछ कहना ,चाहते है ।।
तेरे होठ प्रेम में ,फडफडाते है ।
तेरे होठ हर बार ,नया रुप धरते है ।।
तेरे होठ लिपिस्टिक से ,सबकी आँखों में ,बस जाते है ।
तेरे होठ खुबसूरत ,गीत गुनगुनाते है ।।
तेरे रसीले होठ ,हर कोई चुमना चाहते है ।
तेरे सुदंर होठ ,तुझे हुस्न की परी बनाते है ।।
तेरे होठ रसीले ,नाजुक लगते है ।
तेरे होठ दिल की बात ,कहना चाहते है ।।
बृजमोहन रणा ,कश्यप ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।