डूबा आज भी वो एहसासों में हूँ
कि कल का सवेरा आज से बेहतर होगा
डूबा हुआ सूरज फिर से उजाला देगा
दिलों में आज भी हज़ारों ख़्वाब दफ़न है
लेकिन भरोसा कान्हा पे भी बरकरार है
अगर पी सकता है वो मीरा का ज़हर
तो मेरे दुखों की क्या औक़ात है
तन्हाइयों मी जीती राधा
फिर भी प्यार दुनिया में उसी का बरकरार है
आओ मनाये काना के जन्मोत्सव की खुशियाँ
जन्माष्टमी तो दिलों का त्योहार है..
बोलो कृष्ण कन्हैया लाल की जय....
हृदयस्पर्शी
हर्षिल पटेल