किसकी राह देख रहे हो,
अब तो सभंलजा नादाँ दिल;
छोड़कर तुमे जो चले गये हैं,
उनसे तुं नहीं पायेगा मिल;
वक्त क्युं बर्बाद करे अपना,
मित्रों के साथ फिरसे खिल;
खारे समंदर की आश छोड़,
प्यास बुझायेगी मिठी झिल;
"विनोद" भरले जीवन में,
खुशियों को बना तुं मंजिल;