. मेरी कौन सुनेगा ।।
इस बदलते युग के परिवेश में ,
मेरी कौन सुनेगा।
इस पाखंडी दुनिया के वेश में ,
मेरी कौन सुनेगा।
नवभारत के सृजन में अब तो,
मेरी कौन सुनेगा।
अब ना वो लोग ही मिलते,
ना ही वह सभ्यता यहां,
नए जमाने के आवेश में ,
मेरी कौन सुनेगा।
जो ख्वाब बुजुर्गों ने देखें,
हमे उसकी परवाह नहीं,
नई नवेली सोंचो में अब,
मेरी कौन सुनेगा।
हम अबोध बालक के मन्न कि
सत्यता कि गाथा को
शांत रह रहे वीर -गुनी विद्वानों में,
मेरी कौन सुनेगा।
जिंदगी के बीते लम्हों की बातों को,
कुछ गलतियों और नेक इरादों को
इन महान पुर्सार्थी लोगों में
मेरी कौन सुनेगा।
मेरी कौन सुनेगा।।
Arjuna Bunty.