मा-बाप वो होते हैं;
सुके में सुलाकर,
गीले में वो सोते हैं;
खुद भुखा रहकर भी,
बच्चों को खीलाते हैं;
सारी दुनिया में मा-बाप ही,
निस्वार्थ प्यार जताते हैं;
ईश्वर भी मनुष्य रुप में,
मा-बाप को पाते हैं;
मत करना दुखी इन्हें,
दुनिया में मा-बाप ही तो लाते हैं;
...✍️ वि. मो. सोलंकी "विएम"