नैन बसेरा...
नहीं छूटा वो बस मेरा,
जो छूट गया वो नैन बसेरा।
जहां ठहरे, वही सवेरा,
जो छूट गया वो नैन बसेरा।
मोह से बंधा कच्चा धागा,
टूट गया वो सपना सलोना।
बूंद-बूंद टपका रात का फसाना,
ओस ने कहा—देखा सवेरा?
बेदाग मिट्टी आसमानों का किस्सा
कोई टूटी तंद्रा का टूटा तारा
लम्हों में गूंजे हिबकारी तराना,
गूंजती सांसों में स्पंदन तुम्हारा।
जो मेरा था, मुझमें ठहरा,
जो बिछड़ा, वो कहानी का हिस्सा।
गहराई में जुड़ा था रिश्ता हमारा
ह्रदय धरा पर तेरा बसेरा।
हा, छूट गया वो नैन बसेरा,
हा, आंखें खुली तो हुआ सवेरा...
Dmeeti
Radhe Radhe