# कविता **
# विषय .अंपगों की पुकार ..
शरीर से भले लाचार है ,पर हौसला बुलंद है ।
भगवान ने हाथ पांव नहीं दिए ,पर हौसले बुलंद है ।।
दुनियां को दिखा देंगे ,अपंग भी बुद्धिमान होते है ।
अपनी बुद्धि के कमाल ,से दुनियां को आश्यर्च चकीत कर देगें ।।
सफलता की सीढ्ढीयाँ ,चढ़कर नाम कमायेगें ।
हमारा हौसला बुलंद है ,तो पहाड़ भी रास्ता दे देगें ।।
जो हिमंतहार जाता है ,वह कुछ नहीं कर पाता है ।
हम पढ़ लिख कर ,उच्चे पदों पर बैठेगें ।।
हमारे कर्मो को देख कर ,दुनियाँ भी दाँतो तले अंगुली दबायेगी ।
हम अपंग होकर भी ,हमारा नाम रोशन करेगें ।।
बृजमोहन रणा ,कश्यप ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।