# कविता **
# विषय .परिन्दा **
मीठी बातें मत ,कर ये नादान परिन्दें ।
इंसान सुन लेगा तो ,पिंजरा ले आयेगा ।।
तुझें पिजंरे में रख देगा ,तेरी आजादी खत्म कर देगा ।
तुझें मीठी बोली सीखा ,कर लाखों कमायेगा ।।
तुझें बासी फल ,रोज खिलायेगा ।
तू ताजे फलों का ,स्वाद ही भूल जायेगा ।।
तुझे उसके इशारों ,पर नाचना पड़ेगा ।
तुने नाचने से मना किया ,तो तेरे पंख नोच कर मार डालेगा ।।
तू तो भोलाभाला ,पक्षी ठहरा ।
अभी भी समय है ,उड़ लें ।।
अपनों को आजाद ,ही तू रहने दें ।
मानव मन कब ,बदल जाये कोई भरोसा नहीं ।।
मानव तेरे गुलामी के ,दर्द को नहीं समझ पायेगा ।
तू जीवन भर आंसू ,बहाता रह जायेगा ।।
बृजमोहन रणा ,कश्यप ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।