अजय की बेटी रंजना ने अपने जन्म से ही दादी को एक टूटे खटोले पर अंधेरी कोठरी के बदबूदार कोने में
उपेक्षित पड़े पाया है । उन्हें रोटी के एक-एक टुकड़े और एक-एक घूँट पानी
पाने के लिए रोते-तड़पते देखा है । भरे-पूरे परिवार में कभी किसी की संवेदना जागते नहीं देखा गया ।
रंजना को भी बूढ़ी दादी की सुनने उन्हें या एक घूँट पानी देने के लिए कभी दो पल की फुर्सत नहीं मिली ,
अजय को अब बेटी रंजना के लिए वर की तलाश है ,
और सास-ससुर का होना उनकी पहली शर्त है ।