दशरथ पुत्र राम
यूँ ही नहीं भगवान बने
रक्षणीया नारी को पूजा
तब युग पुरुष आदर्श बने
माँ कैकेयी की आज्ञा से
चौदह वर्ष वनवास जिया
पत्नी सीता को साथ रखा
रूढि तोड़ नव विमर्श बने
पाषाणी अहिल्या में प्राण भरा
शबरी के जूठे बेर खाये भक्ति-प्रेम का उत्कर्ष बने
रूमा की मुक्ति के हेतु
सुग्रीव के परामर्श बने
तब जग का विश्वास मिला
और राम यहाँ
भगवान बने