फटी हुई बनियान में
खुद के तकलीफ़ छुपा कर
मुस्कान बिखेरता अपने नन्हे मुन्नों
के हर ख्वाहिश पूरी करता
वो शख़्स
अपने हर शौक को दबा
धूप में खुद को तपा
जाने कौन सी खुशियों की
बगिया लाया
भूखा प्यासा चार रुपए
कमाने की खातिर न
जाने कितने जिल्लत
सहता हुआ
कभी घर खाली हाथ
जो न आया
जिसके न रहने पर
सब कुछ बिरान पाया
बहुत करवा था, वो शख्स
जो कभी किसी को
ना भाया
मुझे आज भी
याद है वो शख़्स ....
जो बहुत याद आया।
#ArjunaBunty