#फ़िक्र
वो जो सारे ऐशो आराम रखते हैं,
अक्सर रातों को वो ही जगते हैं।
उन्हीं के हिस्से में आते हैं दर्द भी सारे,
वो जो सबकी मुस्कुराहटों को मरते हैं।
उनके पहलू में सिमटना चाहत रही,
वो जो पहलू में खंजर
रखते हैं।
मेरे पांव में पाजेब मत डालिये,
घुंघरुओं को भी हम थाम चलते हैं।
सबकी परवाह बहुत हो चुकी अब 'निशा'
चलो खुद की भी थोड़ी फ़िक्र करते हैं ।
निशा शर्मा...