# आज की प्रतियोगिता "
# विषय .गलत "
# विधा .कविता "
तुम्हारे पर विश्वास ,करना गलत था ।
तुमसे दोस्ती का ,हाथ बढ़ाना गलत था ।।
तुम धोखेबाज निकलोगे ,हमें मालुम नहीं था ।
तुम्हारे पर भरोसा करना ,एक दीवास्वप्न था ।।
तुम्हारी मित्रता एक ,भुलभुलैया थी ।
तुम्हारी मीठी बातें ,सरासर झुठ थी ।।
तुम पर यकीन करना ,हमारी भुल थी ।
तू दोस्ती के नाम ,पर एक कंलक था ।।
तुने भारत के साथ ,धौखा किया ।
तु हमारी दोस्ती ,के काबिल ही नहीं था ।।
बृजमोहन रणा ,कश्यप ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।