दिल में छुपी हे जो बात,
क्यों नहीं बताते हो?
मन में है तेरे जो जज्बात,
क्यों नहीं जताते हो?
क्यों तुम शर्माते हो?
कीस वात का है संकोच?
छोड़ो तुम युं शर्माना,
कहदो तुम ये नि:संकोच?
#बातुनी बनकर तुम,
खोल दो तुम दिल अपना;
पुरा करेंगे हम,
तुम्हारा देखा हर सपना;
....✍️वि. मो. सोलंकी "विएम"
#बातूनी