आज मन बहुत उदास और खिन्न है।साल 2020 अपने साथ पता नहीं क्या महनूसियत लेकर आया है।कोरोना के कारण जहां पूरा विश्व परेशान हैं। वहीं हमारी फिल्म इंडस्ट्री इस साल अपने कई नायाब सितारों को खो चुकी है। अभी हम इरफान खान और ऋषि कपूर साहब के जाने के गम को भुला भी नहीं सके थे कि आज फिर एक चमकते सितारे सुशांत सिंह राजपूत के मौत को गले लगाने की खबर सोशल मीडिया पर पता चली। सुनकर बहुत सदमा लगा।
इरफान खान और ऋषि कपूर तो अपनी बीमारी से लड़ते हुए मौत की आंखों में आंखे डालकर न केवल एक फिल्मी हीरो की तरह बल्कि एक रियल हीरो की तरह फाइट करके इस दुनिया को अलविदा कह गए, पर सुशांत सिंह राजपूत जिस तरह इस जिंदगी से पलायन कर गए वह सोचने पर मजबूर कर देता है कि आखिर हमारी नौजवान पीढ़ी कहां जा रही है, जो जरा सी परेशानी नहीं झेल पाती।
आखिर हम उन्हें क्या शिक्षा दे रहे है।हम उन्हें परेशानियों, मुसीबतों, तकलीफों से लड़ना सिखा ही नहीं रहे है। आज हम सफलता के बाद के प्लान तो पहले से तैयार करके रखते हैं पर यदि सफलता नहीं मिली तो क्या करेंगे इस बात पर विचार नहीं करते। और फिर जब असफलता हमारे सामने आकर खड़ी हो जाती है तो हम कायरों की तरह आत्महत्या कर इस दुनिया को अलविदा कह जाते है।
आज हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने बच्चों की सफलता में खुश होने के साथ उन्हें असफलता में कैसे खुद को सम्हालना है यह भी सिखाएं। अपने बच्चे की हर जिद को पूरा न करें।वह जिस चीज की फरमाइश करें उसे तुरंत न दिलाएं। क्योंकि हमारे ऐसा करने से वह यह मान लेते है कि वह जिस चीज की ख्वाहिश करेंगे वह उन्हें आसानी से मिल जाएंगी और फिर वह जो जिंदगी से चाहते हैं वह नहीं मिलता तो वो इस तरह के कदम उठाते है।
फ़िल्म छिछोरे के माध्यम से परेशानी, अवसाद और असफलता से लड़ने की शिक्षा देने वाला आज खुद की परेशानी से हार गया।
#RIP_Sushant_Singh_Rajput
काश की तुम अपनी फिल्मों से ही कुछ सीख ले लेते।
भगवान ने बख्शी थी तुम्हें एक नायाब जिंदगी,
और तुम उसे यूं ठोकर मारकर चले गए।
अलविदा चमकते हुए सितारे