पर्यावरण दिवस शुभ हो सभी को .....
प्रकृति तो दानी-मानी है
देती है तो ले भी लेती है
सिर पर सवार होकर
बन्द ताले अँखुआएँ मन के
तो कोई बात बनें
मिले गले रँग भेद छोड़कर
हम अपने और परायों से
खुले ताले दिमाग़ के
तो कोई बात बनें
दिवस कोई भी हो
ले ही आता है हरियाली
और लाली मनभर
रोज ही आँगन में
हम मिलें नेह से खुद से
तो कोई बात बनें
बरगद लुटाते आये हैं
छाया दिल की गहराई से
लुटाये तुलसी सुवास
तो कोई बात बनें
बाँस ने बढ़ लिया
और ढक दिया
जीवन के दालनों को
नरम पौधे हिलमिल हँसें
और मुस्कुराएँ
तो कोई बात बनें
-कल्पना मनोरमा