बहुत कुछ कह जाती है ये खमोशी की जबान।
सब कुछ समझ जाती है ये महोबत की जबान।
कभी खुश कर देती है ,कभी कत्ल कर देती है,
कभी जो बोलती है उनकी आंखो की जबान।
कुछ कहेने की आशमे दिल मचलता मिलनेको,
वो सामने आए तो रुकती है जनाब की जबान।
अच्छा हो या बुरा हो ये तुम खुद सोचो अनिल,
कभी क्यों बंध नहीं होती ये जमाने की जबान।