श्रेष्ठ, सभ्य कहलाने वाले, हे मनुज!
हाय! तुझे तनिक दया ना आई
अपनी पलभर की खुशी व झूठी शान
की खातिर, उस आजन्मे मूक प्राणी को,
मां संग गर्भ के भीतर ही तूने मौत की
नींद सुलाई ,तुझे तनिक नहीं हुआ
उसकी पीड़ा का एहसास, इस कुकृत्य
को करते समय कांपे नहीं क्या,
ऐ,निर्लज्ज तेरे हाथ, तेरी करनी के आगे
आज सारी मानव जाति है शर्मिंदा और शर्मसार!!
सरोज ✍️