हम तुझे सिर्फअपना, समझते रहे
तुम पल - पल
अपने ठिकाने बदलते रहे
जिससे भी मिले,
उसके दिल में हम
तेरा ठिकाना देखते रहे
ये तेरे सुंदर कर्म हैं
या तेरी आशिकी की अदा
हर किसी से हम
तेरी तारीफ सुनते रहे
किसी ने तुझे दोस्त माना
तो कोई खुदा बना बैठा
किसी ने तुझसे की
जरूरत पूरी
कोई दिल ही दिल
अपना बना बैठा
कुछ भी हो,
पर तु हर दिल में
अपनी जगह बना बैठा
तेरे इस तरह से
हर दिल में ,
जगह पाने से
हम तो बस डर बैठे
यदि हम जायें तुझसे दूर
तो ऐसा न हो कहीं
तेरे दिल में कोई और
अपना आशियाना बना बैठे