शहद का लीबास है जिंदगी मेरी,
नीम का पेड़ , मिले तो भी क्या?
चाहत राहत है, इबादत सांस में,
जन्म और मौत,मिले तो भी क्या?
ओस का चहेरा , खील उठे यहां,
खुर्शिद से दोस्ती,मिले तो भी क्या?
अपना पराया ,खेल है ममत्व का,
रिस्तेकी डोर यहां,मिले तो भी क्या?
आनंद फकत, आप में है मस्ताना,
दुःख दर्द लाजिमी,मिले तो भी क्या?