ऐक बात पुछुं? दुनीया मे हर इनसान पयार के लीए तरसता है?? की प्यार के लीए जीता है?? थोडा अटपटा प्रश्न है, मगर पोष्ट और लाइको से कुछ सोचने से मजबुर हो गया, ज्यादा शेर शायरी कृतो आप जो नाम दे उसका उपद्रीपक कया होता है?? और ज्यादा लाइक कीसे मीलती है?? श्री राम को मर्यादा पुरसोतम बनके अवतार लेने की जरुरत क्या थी? की बहुत कष्ट सहने पडे और इससे सीख लेके बादमे क्रीष्ना अवतार लीया और प्यार की व्याख्या ही बदलदी, राम अवतार मे लोग प्रेम नही करते थे? पती पत्नी नही बनते थे? प्यार नही होता था? अरे तब भी स्वयंवर होता था लडकी ही लडकेको पसंद करती थी ।। लेकीन राधाक्रीष्न ने आके दुनीया को कीस राह पे लाके खडा करदीया।। ये सीता राम की कहानी अच्छी नही थी?? जो राधा क्रीष्ना का रोग लगा दीया।।
अब हर पुरुष हर लडकी मे राधा दीखती है, और हर लडकी खुदको राधा समजती है और कीसनकी तरह हर लडकेको कसुर वार, कीसीपे ट्रष्ट ही नही रहा, वो पसंद करे तो सही सामने से कोई प्रसताव रखे तो गलत,तबभी सव्यंवर होता था और अभीभी, की राधा कीशनने और भुक्ते हर कोइ।। इसी लीऐ हम तकलीफ मे क्रीशनासे मदद नही मागते पर रामको याद करके कहते है, हे राम , हर लडकी हमे राम समजे क्रीष्ना नही, हर लडकी सीता हो राथा नही।।
Raajhemant