शीर्षक - "हिन्दी उच्चारण"
हिंदी, उच्चारण क्यों भूल गए तुम,
तुम कैसे हिन्द देश के वासी हो।
यह जन्म भूमि है राम - हरि की,
क्यों तुम हिंदी के वनवासी हो।
जो देवनागरी लिपि और संवादों की जननी है,
क्यों भूल गए, तुम उस राष्ट्र भूमि के निवासी हो।
जहां आयुर्वेद और योग व्याप्त है,
वहां तुम क्यों मातृभाषा के मर्दन के अभिलाषी हो।
जिस भूमि में उपजी भाषा, भारतेन्दु ने बीज बोया हो जिसका,
क्यों तुम उपेक्षा करने पर तुले पड़े, अधिग्रहण के
अधिकार के नाशी हो।
जो तप - स्थली है ऋषि मुनियों की, यज्ञ - भस्म की जननी है,
क्यों तुम उस भूमि की संस्कृति और सभ्यता के
बने पड़े सर्वनाशी हो।
जहां राज करे मां भारती और सिंहासन हो जनवाणी का,
वहां तुम क्यों मां सरस्वती से, मुंह फेरे खड़े
बने सन्यासी हो।
हिंदी, उच्चारण क्यों भूल गए तुम,
तुम कैसे हिन्द देश के वासी हो।