#Light /प्रकाश

भटकता ढूंढ़ता फिरता है,
मन, पगला यायावर,
लक्ष्य तो पता है,
न जाने कब तक है सफर?

बेचैन, भागता फिरता है,
मन, घबराया उकताया,
देह तो पता है,
अंधेरे में कहां कोई साया।

नापता फिरता है,
धरती से अनंत आकाश,
अंधकार में डूबी आत्मा,
ढूंढ़ रही है परम प्रकाश।।

Hindi Poem by Yasho Vardhan Ojha : 111445152
New bites

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now