क्या रख्खा है मनवा काल क्रोथ मे, दुसरोको जलाये बाद मे , पहले जलाये ये खुदको, चल बुराईका दामन छोडदे ऐक बार तो सोच चेनो अमन का सफर ' कीतना सुकुन कीतनी उमीदे हर तरफ अपनापन ना कोई पराया ना कीसीसे बेर, रखनी हे तो नीम प्रेम की रख प्रेम हे चलता जग सारा दो शब्द प्रारके बो दे, फीर देख सभी जगह अपने ही नजर आयेगे, देख क्हा है यहा पराया' तु अपनो से रीस्ता जोड दे।।
#रखना