न्याय का पलड़ा भारी हो,
जब अन्याय से दुनिया हारी हो
रोज़ी रोटी की खातिर
कोई देश न अपना छोड़े
दौलत वाले की सज़ा
गरीब ना कोई भुगते
खता किसी पासपोर्ट की
राशन कार्ड ना भुगते
सात समंदर पार से
वो तो उड़ कर आएं
उनकी गलती की सज़ा
क्यो हर गरीब पाए
वो तो पल भर में अपने घर लौट आए
पर पूछो विपदा उस गरीब की
जो पैदल ही चला जाए
पैरों में उनके छाले है
और रोटी के लाले हैं
ईश्वर जाने वो कब
अपने घर पहुंचेगे
खाकर रोटी चैन की
अपने घर सोएंगे
#न्याय