कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ?
तुम कह देना कोई खास नहीं . . .
एक दोस्त है पक्का कच्चा सा ,
एक झूठ है आधा सच्चा सा
जज़्बात से ढका एक पर्दा है ,
एक बहाना कोई अच्छा सा !
जीवन का ऐसा साथी है जो
पास होकर भी पास नहीं !
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ?
तुम कह देना कोई खास नहीं . . .
साथ बनकर जो रहता है ,
वो दर्द बाँटता जाता है ,
भूलना तो चाहूँ उसको पर
वो यादों में छा जाता है अकेला महसुस करूँ
फिर भी सपनों में आ जाता है ऐसे ही रहता है
साथ मेरे की उसकी मौजूदगी का अहसास नही
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ?
तुम कह देना कोई खास नहीं .