वो भी क्या दिन थे जब हम आजाद थे
वो भी क्या दिन थे जब हम हम हुआ करते थे
वो बचपन का दिन था बचपन में तों
शामे हुआ करती थी अब तो सिर्फ
राते हुआ करती है !
जहाँ ना कोई जरूरत ना कोई जरूरी था
वो भी क्या दिन था जहाँ
हम से मोहब्बत सारा जमाना करता था और
अब हम से किसी से मोहब्बत नही
वो भी क्या दिन थे जब कोई एक रुपए
में भी खुश हो जाया करते थे और
अब लाखों रुपए में भी हम वो खुशी नही
। मिल सकती वो चमक थी आँखो मे
वो भी क्या दिन थे अब आँखो के नीचे
काले घेरे है वो भी क्या दिन थे जब हम बच्चे थे!
वो बचपन का जमाना था जहाँ हम
मासुमियत की हद तक मासुम थे!
वो भी क्या दिन थे जब ना कोई गम था
वो भी क्या दिन थे जब जिंदगी जी रहे थे!
अब तो बस गुजार रहे है जिंदगी!
वो भी क्या दिन थे !