कविता- गुड़िया रानी
नन्ही सी कली मैं आँगन की गुड़िया रानी
मम्मी सुनाओ मुझे परियों वाली कहानी
जादू हो उसमे इतना कि मैं डर जाऊँ
ममता मई माँ आँचल में तेरे छुप जाऊँ
कहना ऐसे जैसे सुनाती हैं दादी नानी
बैठाकर गोदी में जो बोलती मुजबानी
हो दुनिया माँ ऐसी जिसमे मैं खो जाऊँ
सुनते सुनते वहाँ से जाकर घूम आऊँ
चाची का न पता बुआ भी बड़ी सयानी
मौसी को न आता बोलना वैसी जबानी
पापा तो दिन भर बाहर काम से रहते
इसलिए कभी न जाने हम उनसे कहते
माना चलो करती हूँ मैं बड़ी ही शैतानी
पर पड़ेगी तो आज जरूर तुम्हे सुनानी
नन्ही सी कली मैं आँगन की गुड़िया रानी
मम्मी सुनाओ मुझे परियों वाली कहानी