प्यार में होत सुकून बहुसारा ,
नफरत देता दुख आपारा।
हम तो प्यार बाट ढेरसारा,
द्वेष से दूरकरु प्यारो को बहुबारा।
द्वेष लावे दूरिया बहुसारा,
द्वेष देवे दुख आपरा।
द्वेष करे सुख छीण सारा,
द्वेष से दूर होवे भाई-चारा ।
द्वेष सभी फसादों की जड़ और मुसीबत सारा,
जन्मे स्वार्थ बहुत सारा,
द्वेष को बोलत 'अहंकार, कलह, दुख' की जननी ज्ञानी विचारा।।
"द्वेष होंत जहाँ प्रेम,शांति समाप्त होत वहां"
#द्वेष
💝~दुर्गेश तिवारी~