जिंदगी कभी ऐसे भी पन्ने उलटाएँगी ;
ये कभी सोचा न था ।।
सोचा भी न था कि कभी ऐसे भी
हालत में लाके खड़ा कर देंगी ।।
ढूंढेते रहे हम जिस चीज़ को ताउम्र ( उम्र भर ) …
वो ही अपने पास से यु सरक जाएंगी
ये कभी सोचा ना था ।
खाई है ठोकरे रास्ते पर मंजिल पाने के लिए कई :
मंजिल इस तरह से पीछे छूट जाएगी ;
ये कभी सोचा न था ।
आज तक सोचते थे हम जैसे चाह रहे है :
वैसे ज़िन्दगी जी रहे है ।
पता तो आज चला हमे की .......
जिंदगी तो अपने हिसाब से ही हम को नचा रही है ।
हम ही थे पागल जो ये समज न सके ......
की जिंदगी तो बस अपने ही खेल खेल रही है ।
Dr.Divya