कविता
* नन्हें बच्चे की पुकार *
माँ तू इतनी ,खुबसूरत क्यूँ है ।
मेरी एक हरकत ,तू पल में जानती है ।।
मेरी जरा सी आहट ,पर तू तड़प जाती है ।
मेरे जरा से रोने पर ,तू मचल जाती है ।।
मेरे को सीने से लगा ,कर दर्द पहचानती है ।
मेरी भुख को सहज ,पहचान लेती है ।।
मेरे गीलेपन को ,सहज जान लेती है ।
खुद गीले में सोती ,मुझें सुखें में सुलाती है ।।
माँ तेरे आँचल तले ,स्वर्ग का सुख है ।
माँ ईश्वर ने तुझें ,अनमोल बनाया है ।।
इसलिए तुझें माँ के ,नाम से नवाजा है ।
माँ तू साक्षात् ,ममता की मूरत है ।।
बृजमोहन रणा ,कश्यप ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।