रामचरित मानस में 'आनंद '
तुम्हरी कृपाँ कृपातनय अब कृतकृत्य न मोह । (उत्तरकांड)
जानेऊ राम प्रताप प्रभु चिदानंद संदोह।।
मम गुन ग्राम नाम रत गत ममता मद मोह । "
ता कर सुख सोइ जानइ परानंद संदोह।।
नाथ न मोहि संदेह कछु सपनेहुँ सोक न मोह। "
केवल कृपा तुम्हारिहि कृपानंद संदोह।।
जाकर नाम सुनत सुभ होई। मोंरें घर आवा प्रभु सोई ।।
परमानंद पूरि मन राजा । कहा बोलाइ बजावहु बाजा ।। (बालकांड)
वर्षा शाह
#આનંદ