इच्छा शक्ति
न चलो भेड़ों की चाल सदा
वो राह चुनो जो खाली है !
इच्छा शक्ति को दृढ़ करलो
बंजर में उगेगी बाली है !!
डरे अंधेरों से जो सदा
तो मंजिल कैसे पाओगे...
ना रखी लक्ष्य पर नजर गड़ा
नौ दो ग्यारह हो जाओगे..
जल जाय मेहनत -दीप जहां
जंगल में भी दीवाली है!
इच्छा शक्ति को दृढ़ करलो
बंजर में उगेगी बाली है !!
मिलेगी कटीली झाड़ी भी
कांटे भी चुभेंगे पांव में..
मंजिल से पहले बैठना न
थककर राही कभी छांव में..
मेहनत से ही मिलती मणियां
बजे दो हाथों से ताली है!
इच्छा शक्ति को दृढ़ करलो
बंजर में उगेगी बाली है !!
तकते हैं रेतीले टीले
हमें कौन ढूंढने आएगा ..
जिसको भाय हैं सरल राहें
वो जल स्त्रोतों पर जाएगा...
गाड़ोगे पानी में झंडे
ग़लत फहमियां क्यों पाली है!
इच्छा शक्ति को दृढ़ करलो
बंजर में उगेगी बाली है !!
अपना उल्लू सीधा करना
जग में सबको ही आता है...
आंखों को सदा खुली रखना
बुद्धी से गहरा नाता है...
तुम्हें बेंच न खाए दुनिया
ये मन की बहुत ही काली है!
न चलो भेड़ों की चाल सदा
वो राह चुनो जो खाली है!!
इच्छा शक्ति को दृढ़ करलो
बंजर में उगेगी बाली है !!
सीमा शिवहरे सुमन