सागर की गहराई सा जीवन के
उठते तरंग का सार देखा
मैंने आज शब्दों के संगीन सा वार देखा
उठते गिरते मैंने जीवन तरंग में,
छिपा रहस्य सा भार देखा
मैंने आज.....
अनजान लहरों के उठते हुए
उफान में मैंने जीवन को उल्जा देखा
मैंने आज.....
गहराई सागर की रहे या दिल की,
डूबते सपनों का मैंने साया देखा
मैंने आज.....
जीवन नैया में आशा को बैठाकर मैंने मेल मिलाप का ख्वाब देखा
मैंने आज.....
#સાર