आज की प्रतियोगिता ।
*विषय .# विश्व *
विधा .कविता ।
आज विश्व सारा ,धबराया हुआ है ।
कोरोना का संकट ,चारोंओर छाया हुआ है ।।
सभी रात दिन ,मेहनत कर रहे है ।
विश्व मंदी के दौर ,से गुजर रहा है ।।
प्राण बचाना भी ,संकट सा हो रहा है ।
कोरोना सुरपनखाँ की तरह ,मुँह फाड़े खड़ा है ।।
डाक्टर भी इसके शिकार ,हो रहे है ।
कोई उपचार ,ढूँढ़ने से नहीं मिल रहा है ।।
सभी दुंआएँ ,बेअसर हो रही है ।
विश्व सारा असमंजस ,में हो रहा है ।।
महामारी को भगाने ,कडी मेहनत हो रही है ।
पर यह बिमारी काबू में ,नहीं आ रही है ।।
बृजमोहन रणा ,कश्यप ,अमदाबाद ,गुजरात ।