some lines straight from the heart... hope u like it..
तू यहाँ वहाँ की बात ना कर.. दिखा वो सबक नफरत का तूने जिस किताब में पढ़ा... नहीं दिखा पाएगा कयूकि ऐसा कहीं भी आज तक नहीं लिखा..... हैं कुछ गुमराह आज भी जो ठुकराते हैं उपरवाले की दयालुता का सिला..... ओ मेरे सच्चे हमराह, मंजिल साथ ही पाना है, तो क्या हुआ जो तू और मैं तय करेगें थोड़ा दूर दूर चलके ये फासला..... दिल ही में उपरवाले को रख, मंदिर दरगाह आज तुझसे मांग रहे हैं ये दुआ..... मंदिर मस्जिद में सजदा करने की जगह, आज तू दे किसी रोते हुए को हंसा.... सीखना है तो सीख परिंदो से इबादत का सबक.... कभी मंदिर में तो कभी मस्जिद में तो कभी गिरजे गुरुदारे में उनका आशियाना बना.... जय हिंद