दर्द को कहना
उसके साथ - साथ बहना होता है
नदी की तरह
कभी शब्दों को शब्द दर शब्द
विष का पान कराना
जैसे अमृत हो जाना हो
फिर मुहब्बत का !
...
जाने कितनी किस्मों में
तकसीम़ हुई वह
कभी दरिया कभी नदिया
कभी धारा कभी लहर
कभी बूंद
जब वह तेरे नयनों से बही थी
#अंतिम बार !
....
यह कैसा द्वंद है
भावनाओं का भावनाओं से
जहां अभिलाषा है
बस मिट जाने की
चाह नहीं कुछ पाने की !!!
#अंतिम