"कथाओं का दौर"
एक बार फिर कथाओं का दौर
चल पड़ा मेरे आर्यावर्त में
श्री राम चरित्र मानस कथा
दूसरी तरफ महाभारत कथा
मै भी एक कथा बन कर
नहा धो पूजा पाठ कर
पलथी मार कर बैठ जाता हूँ
हर पहर कथा को सुनने के लिए
कथाओं की युक्ति के भीतर घुस कर
कहीं होने की लगातार कोसिस करता हूँ
ज्ञान के इस अबूझ पहेली के बीच
अंतर्मन की जड़ों की सुगंध के पार
विचारों की मीनारों के नोक पर
खुद को सम्हाले हुए सम्पूर्ण व्यतिक्रम में
ख़ाली कटोरों में उतरते मुक्ति के
कुछ छरहरी कांपती टहनियों को देखता हूँ
धीरे धीरे पाने की आस के बीच
द्रढ़ता से पकडे तुलसीदास की खडाऊं
पास में रखी ज्ञान गंगा की नाँव
बिना पतवार के चली आ रही है
अद्भुत है इसकी बनावट
खुद में बांधे जल फूल मंत्र शंख
ध्यान तप पून्य की एक टोकरी।
किताब-"भारत बंदी के इक्कीस दिन" संग्रह से
लेखक-शिव भरोस तिवारी 'हमदर्द'