वो कहते हैं , मांग में सिंदूर नहीं ,
गले में मंगलसूत्र नहीं ।
हाथों में चूड़ियां नहीं ,
माथे में बिंदिया नहीं ।
ये सुहागन का रूप नहीं !!
वो कहते हैं , छोटे कपड़े डालती है ,
दुपट्टा नहीं करती है ।
सबके पैर नहीं छूती है ,
हर समय घूमती रहती है ।
ये संस्कारी लड़की नहीं है !!
मैं कहती हूं , मेरा रूप उनकी सहमति से है ,
बड़ों का आशीर्वाद मेरे सिर पर है ।
पैर छूने से कुछ नहीं होता ,
उनसे प्यार दिल से है ।
संस्कार मेरे कपड़ों से नहीं छलकते
आदर्श मेरे मेरे दुपट्टे में नहीं बसते ।
संस्कार मेरे अंदर बसे हैं ,
उनका विज्ञापन देना जरूरी नहीं है ।।