My New Poem....!!!
यारों जो कभी न भर पाए
एसा भी एक रुँहानी घाव है
जी हाँ दुनियाँ की ज़बान में
तो नाम उसका ही लगाव है
जो ना देखें कभी वक़्त पहर
जात-पात यह वही पड़ाव है
आंधी-तुफ़ाँ या हो बारिश ☔️
साथ साथी का देता छाँव है
मिल कर तो ख़ूब ख़ुश होते हैं
पर साथी छूटे तो भी तनाव है
बुनियाद रिश्ते की यक़ीन है
पर मन का मिलन सुझाव है
बढ़ती उम्र के साथ घटता ना
बढ़ता कैसा अजीब यह भाव है
प्रभु की बनाए जीवन-क्रम में
पुस्त-ओ-नस्लों का यहीं बहाव है
✍️🥀🌺🌲👣👣👣🌲🌺🥀✍️