शुभ संध्या वंदन बृहस्पतिवार वीरवार गुरुवार भगवान विष्णु सत्यनारायण जी आपको बारंबार प्रणाम नमन नमस्कार है ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़ एवं सभी भक्तों का
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आरती श्री सत्यनारायण जी की ब्रह्मदत्त
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी जय लक्ष्मीरमणा |
सत्यनारायण स्वामी,जन पातक हरणा
रत्नजडित सिंहासन, अद्भुत छवि राजें|
नारद करत निरतंर घंटा ध्वनी बाजें ॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी....
प्रकट भयें कलिकारण ,द्विज को दरस दियो।
बूढों ब्राम्हण बनके कंचन महल कियों ॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी...
दुर्बल भील कठार, जिन पर कृपा करी |
चंदचूड एक राजा तिनकी विपत्ति हरी ॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....
वैश्य मनोरथ पायों ,श्रद्वा तज दिन्ही।
सो फल भोग्यों प्रभूजी, फेर स्तुति किन्ही ॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....
भाव भक्ति के कारन .छिन छिन रुप धरें।
श्रद्वा धारण किन्ही,तिनके काज सरें॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी....
ग्वाल बाल संग राजा ,वन में भक्ति करि ।
मनवांचित फल दिन्हो ,दीन दयालु हरि ॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....
चढत प्रसाद सवायों,दली फल मेवा |
धूप दीप तुलसी से राजी सत्य देवा ॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी....
सत्यनारायणजी की आरती जो कोई नर गावे |
ऋद्वि सिद्वी सुख संपत्ति सहज रुप पावे॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी जय लक्ष्मीरमणा|
सत्यनारायण स्वामी,जन पातक हरणा ॥
ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़
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आरती श्री बृहस्पति देवा की ब्रह्मदत्त
जय बृहस्पति देवा, ऊँ जय बृहस्पति देवा।
छि छिन भोग लगाऊँ, कदली फल मेवा ॥
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी ॥
चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता।
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता ॥
तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े।
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्धार खड़े॥
दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी।
पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी ॥
सकल मनोरथ दायक, सब संशय हारो।
विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी ॥
जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहत गावे।
जेठानन्द आनन्दकर, सो निश्चय पावे ॥
ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़